Sep 10, 2009

परछाई

जब भी तुम सामने आए
नाजाने आँखें क्यों भराए
ये आँसू तोह यु निकल आए
बनके सावन के पहले बूँद

तरसते हुए इन आँखों को
जैसे मिली हो सुकून
तड़पते हुए इस दिल को
जैसे मिला हो आसमान

तेरे मोहब्बत ने हमे
इस कदर भिगोदिया
एक मुस्कराहट तुम्हारे
जीनेका सहारा बनगया

इस दिल को अब मै कैसे समझाऊ
ये सुकून है कुछ ही पल की
और इसे तड़पना है
इंतज़ार मे फिर वही कल की

जब भी तुम याद आए
न जाने आँखें क्यों भराए
ये आँसू तोह यु निकलाये
जैसे हो तुम्हारी परछाई..

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